छत्तीसगढ़ में धूम धाम से मनाया जा रहा पोला पर्व

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छत्तीसगढ़ में मनाई जाने वाली पारम्परिक त्यौहार पोला का पर्व आज पूरे प्रदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन छत्तीसगढ़ के सभी किसान अच्छी फसल की कामना को लेकर यह त्यौहार को मानते है।इस दिन सभी किसान मिट्टी के बैल बना कर उसकी पूजा करते है, व साथ में मिट्टी के बर्तन बना कर उसकी भी पूजा की जाती है।   पोला त्यौहार मनाने के बाद खेती कार्य से बैलों को कुछ दिनों के लिए आराम दिया जाता है . इस पर्व में कई तरह के पकवान बनाई जाती है. किसानो की खेती में अहम् योगदान निभाने वाले बैलों की विशेष पूजा - अर्चना की जाती है. उन्हें नहला धुला कर श्रृंगार किया जाता है तथा विभिन्न प्रकार की भोजन कराई जाती है। इस पर्व को छत्तीसगढ़ के अलावा महाराष्ट्र , हिमांचल प्रदेश , उत्तराखंड , असम , सिक्किम तथा अन्य प्रदेशो में भी मनाया जाता है. यह त्यौहार अमावश्या , अघोरा चतुर्दशी व स्थानीय भाषा में डगयाली के नाम से मनाया जाता है. छोटे बच्चे इस दिन मिट्टी के बने बैलों के साथ खेलते नजर आते हैं. इसके साथ ही इस दिन गेड़ी चढ़ने का भी रिवाज है. गांवों में गेड़ी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. साथ ही साथ अन्य खेल भी इस दिन खेलें जाते है। महिलाओं  के द्वारा पोला पटकने का खेल खेला जाता है।