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श्रीनृसिंह जयंती 11 मई, रविवार को विधिपूर्वक मनाई जाएगी

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श्रीनृसिंह जयंती 11 मई, रविवार को विधिपूर्वक मनाई जाएगी


जम्मू, 9 मई (हि.स.)। श्रीनृसिंह भगवान के प्राकट्य पर्व श्रीनृसिंह जयंती इस वर्ष 11 मई, रविवार को श्रद्धा एवं विधिपूर्वक मनाई जाएगी। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट (पंजीकृत) के अध्यक्ष, ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री ने जानकारी देते हुए बताया कि धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को, जब सूर्यास्त के समय चतुर्दशी व्याप्त हो, उस दिन श्रीनृसिंह जयंती का आयोजन होता है। यदि सूर्यास्त के समय दोनों दिन चतुर्दशी हो तो अगले दिन यह पर्व मनाया जाता है।

इस वर्ष चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 10 मई, शनिवार को सायं 5:30 बजे से हो रहा है जो कि 11 मई, रविवार रात्रि 8:02 बजे तक रहेगा। दोनों दिन सूर्यास्त के समय चतुर्दशी तिथि होने के कारण शास्त्रीय परंपरा के अनुसार यह पर्व 11 मई, रविवार को ही मनाया जाएगा। इस दिन स्वाति नक्षत्र की उपस्थिति से पर्व की विशेष आध्यात्मिक गरिमा और प्रभावशीलता और भी अधिक बढ़ जाती है।

महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि भगवान श्रीनृसिंह, भगवान विष्णु के चौथे अवतार हैं, जिन्होंने अपने परमभक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए हिरण्यकशिपु का वध कर अधर्म का नाश किया था। उनका रूप अत्यंत विलक्षण है – सिंह का मुख और मानव का शरीर। इसी कारण उन्हें ‘नरसिंह’ कहा गया, अर्थात् ‘मानव-सिंह’। इस वर्ष श्रीनृसिंह पूजा का उत्तम मुहूर्त 11 मई को सायं 5:16 बजे से रात्रि 8:02 बजे तक रहेगा। इस समयावधि में भक्तजन विधिपूर्वक भगवान श्रीनृसिंह की आराधना कर पुण्य लाभ अर्जित कर सकते हैं। कुल 2 घंटे 46 मिनट का यह शुभकाल विशेष फलदायी माना गया है।

जो श्रद्धालु स्वस्थ हैं वे इस दिन व्रत रखकर भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। उपवास का पारण 12 मई, सोमवार को सूर्योदय के पश्चात, दोपहर 12:20 बजे से पूर्व कर लेना उत्तम रहेगा। प्रातः स्नानादि कर पूर्व दिशा की ओर पीले वस्त्र से ढकी चौकी पर भगवान श्रीगणेश एवं श्रीनृसिंह जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। स्थान और चौकी को गंगाजल या गौमूत्र से शुद्ध करें। एक जलभरे कलश पर नारियल स्थापित कर देवी-देवताओं, नवग्रहों, तीर्थों एवं नगरदेवताओं का आवाहन करें। संकल्प लेकर वैदिक विधि से षोडशोपचार पूजन करें: आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, चंदन, रोली, हल्दी, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा एवं मंत्र पुष्पांजलि।

हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा