नायब तहसीलदार भर्ती में उर्दू को अनिवार्य बनाने पर डोगरा समाज का विरोध, केंद्र और एलजी से हस्तक्षेप की मांग

जम्मू, 5 जुलाई (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड द्वारा हाल ही में जारी की गई नायब तहसीलदार पदों की भर्ती विज्ञप्ति में उर्दू भाषा की परीक्षा को अनिवार्य बनाए जाने पर डोगरा ब्राह्मण प्रतिनिधि सभा और अन्य सामाजिक संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। सभा अध्यक्ष वेद प्रकाश शर्मा, चेयरमैन एडवोकेट पी.सी. शर्मा और पूर्व उपायुक्त बी.एस. जम्वाल सहित कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस निर्णय को जम्मू के शिक्षित युवाओं के साथ भेदभावपूर्ण करार दिया है।
सभा भवन में मीडिया को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से अपील की कि वे इस भर्ती अधिसूचना में हस्तक्षेप कर उर्दू भाषा की अनिवार्यता को हटवाएं। उनका कहना था कि यह निर्णय क्षेत्रीय असमानता को बढ़ावा देता है और जम्मू क्षेत्र के युवाओं के लिए सरकारी नौकरियों में समान अवसरों को बाधित करता है।
वरिष्ठ अधिवक्ता पी.सी. शर्मा ने इसे जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 और आधिकारिक भाषा अधिनियम 2020 की भावना के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि जहाँ हिंदी, डोगरी, अंग्रेज़ी, कश्मीरी और उर्दू सभी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है, वहाँ केवल उर्दू को अनिवार्य करना जम्मू क्षेत्र के युवाओं के साथ भाषायी भेदभाव है।
हिन्दुस्थान समाचार / राहुल शर्मा