मुख्य सचिव ने कला केंद्र में शारदा पेंटिंग्स पर 3 दिन की प्रदर्शनी का उद्घाटन किया
जम्मू, 5 दिसंबर (हि.स.)। चीफ सेक्रेटरी अटल डुल्लू ने आज जम्मू के कला केंद्र में जीआर संतोष गैलरी में मशहूर आर्टिस्ट सुभाष सी राजदान की शारदा कैलिग्राफी पेंटिंग्स की तीन दिन की एग्ज़िबिशन का उद्घाटन किया।
उद्घाटन समारोह में प्रिंसिपल सेक्रेटरी कल्चर बृज मोहन शर्मा, पद्मश्री राजिंदर टिक्कू डायरेक्टर आर्काइव्ज़, आर्कियोलॉजी और म्यूज़ियम्स के के सिद्ध, सेक्रेटरी कला केंद्र डॉ. जावेद राही, जाने-माने आर्ट हिस्टोरियन डॉ. ललित गुप्ता, मशहूर आर्टिस्ट गोकल डांबी और मशहूर राइटर पी एन कौल शामिल हुए। यह इवेंट कला केंद्र जम्मू ने आयोजित किया था।
इस मौके पर बोलते हुए चीफ सेक्रेटरी ने कहा कि यह एग्ज़िबिशन यूनिक है क्योंकि यह हज़ार साल पुराने इतिहास वाली पुरानी कश्मीरी स्क्रिप्ट शारदा को हाईलाइट करती है। उन्होंने इस स्क्रिप्ट को फिर से ज़िंदा करने और बचाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया जो कश्मीर की जड़ों और पहचान से एक ज़रूरी कल्चरल लिंक बनाती है। उन्होंने इस बात की तारीफ़ की कि जम्मू और कश्मीर में कला के एक बड़े सेंटर के तौर पर कला केंद्र, विज़ुअल और परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स के फ़ील्ड में लोकल कलाकारों को ज़रूरी मदद और सुविधाएँ देता रहता है।
अटल डुल्लू ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू की गई गायन भारतम स्कीम, कल्चरल विरासत के बचाव, कंज़र्वेशन और डॉक्यूमेंटेशन में अहम योगदान देगी जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान की कंटिन्यूटी पक्की होगी।
चीफ़ सेक्रेटरी ने सुभाष सी राज़दान के काम की तारीफ़ की और लोगों से इस दुर्लभ कला को देखने के लिए एग्ज़िबिशन देखने की अपील की।
लोगों को संबोधित करते हुए प्रिंसिपल सेक्रेटरी कल्चर ने बताया कि जम्मू-कश्मीर एकेडमी ऑफ़ आर्ट, कल्चर एंड लैंग्वेजेज़ ने हाल ही में शारदा, उर्दू और देवनागरी लिपियों में कैलिग्राफ़ी की परंपराओं को बढ़ावा देने और बचाने के मकसद से कैलिग्राफ़ी में डिप्लोमा शुरू करने के लिए कश्मीर यूनिवर्सिटी के साथ एक एमओयू साइन किया है।
इससे पहले अपने वेलकम एड्रेस में डॉ. जावेद राही ने कहा कि एग्ज़िबिशन में सुभाष सी राज़दान के 50 काम दिखाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस इवेंट का मकसद पुरानी शारदा लिपि को दिखाना है जिसे दुर्लभ कैलिग्राफी पेंटिंग के ज़रिए कलात्मक रूप से दिखाया गया है जो देखने और बोलने दोनों में बहुत अच्छी हैं।
इवेंट में बोलते हुए गोकल डांबी ने कहा कि यह प्रदर्शनी सदियों से सुरक्षित सांस्कृतिक मूल्यों की निरंतरता को दिखाती है।
डॉ. ललित गुप्ता ने राजदान के काम को समृद्ध, अलग और आध्यात्मिकता और शैव धर्म से गहराई से जुड़ा हुआ बताया।
पद्मश्री राजिंदर टिक्कू ने कहा कि ये आर्टवर्क कश्मीरी शैव धर्म से प्रेरित कला के नए आयाम खोलते हैं और उनके सही डॉक्यूमेंटेशन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / SONIA LALOTRA

