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मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने डीपीआईआईटी की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस पहल के अंतर्गत नवगठित डी-बीआरएपी के कार्यान्वयन की समीक्षा की

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मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने डीपीआईआईटी की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस पहल के अंतर्गत नवगठित डी-बीआरएपी के कार्यान्वयन की समीक्षा की


जम्मू, 15 दिसंबर (हि.स.)। मुख्य सचिव अटल दुल्लू ने आज भारत सरकार के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस पहल के अंतर्गत नवगठित जिला व्यापार सुधार कार्य योजना (डी-बीआरएपी) के कार्यान्वयन की समीक्षा की।

उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा समन्वित इस समीक्षा बैठक में प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों के साथ-साथ सभी जिलों के उपायुक्तों ने व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया। बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने डी-बीआरएपी के अंतर्गत अनिवार्य विभागवार सेवाओं और सुधार मापदंडों का व्यापक मूल्यांकन किया। उन्होंने नोडल एजेंसी के रूप में उद्योग एवं वाणिज्य विभाग द्वारा एक साझा रीयल-टाइम डैशबोर्ड विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया जो सभी विभागों और जिलों में सभी सेवाओं की स्थिति का समेकित दृश्य प्रदान करे। उन्होंने आगे निर्देश दिया कि उपयोगकर्ताओं के लिए सुगम पहुंच और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऐसी सभी सेवाओं को अनिवार्य रूप से एकल खिड़की प्रणाली (सिंगल विंडो सिस्टम) के साथ एकीकृत किया जाए।

मुख्य सचिव ने सभी संबंधित विभागों से लोक सेवा गारंटी अधिनियम (पीएसजीए) के तहत लंबित सेवाओं को स्पष्ट समयसीमा के साथ अधिसूचित करने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि ये सेवाएं डी-बीआरएपी ढांचे के तहत परिकल्पित ऑनलाइन माध्यमों से प्रदान की जाएं। उन्होंने विभागों को डिजिटल विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के एकीकरण के लिए मिशन युवा के सफल मॉडल का उपयोग करने की सलाह दी, यह देखते हुए कि मिशन के तहत एक प्रभावी डिजिटल प्रणाली पहले से ही कार्यरत है। मुख्य सचिव ने जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन के महत्व पर जोर देते हुए सुधारों के प्रभावी, समयबद्ध और परिणामोन्मुखी कार्यान्वयन को सक्षम बनाने के लिए जिला उद्योग केंद्रों (डीआईसी) को मजबूत करने और उनकी क्षमता निर्माण करने का निर्देश दिया। उन्होंने जिला स्तरीय औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए डी-बीआरएपी के एक प्रमुख उद्देश्य के रूप में औद्योगिक पार्कों की स्थापना के लिए एक रोडमैप तैयार करने का भी आह्वान किया।

इसके अतिरिक्त उन्होंने विभागों से जन सुगम पोर्टल से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए कहा ताकि इसकी पहुंच, दृश्यता और परिचालन दक्षता में सुधार किया जा सके। बैठक को संबोधित करते हुए, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्तीय आयुक्त राजस्व), शालीन काबरा ने कार्य योजना के अंतर्गत भूमि संबंधी सुधारों के कार्यान्वयन की स्थिति से प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने भूमि सीमांकन, भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) और संपत्ति पंजीकरण जैसी ऑनलाइन सेवाओं के संचालन के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि ये सेवाएं कुछ समय से चालू हैं और शेष घटकों के शीघ्र ही पूरा होने की उम्मीद है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव, विद्युत विकास विभाग, शैलेंद्र कुमार ने सेवा वितरण मानकों में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए सभी जिलों को एक मानकीकृत डैशबोर्ड पर लाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने विशेष रूप से अप्रैल 2026 में निर्धारित डीपीआईआईटी मूल्यांकन को देखते हुए मिशन-मोड दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधान सचिव, गृह विभाग, चंद्रकर भारती ने जिला स्तर पर डी-बीआरएपी के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसियों के रूप में जिला उद्योग केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने सुधार योजना के उद्देश्यों को अक्षरशः प्राप्त करने के लिए जिला उद्योग केंद्रों को पुनर्जीवित और मजबूत करने का आह्वान किया।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने डी-बीआरएपी के अंतर्गत आने वाली सेवाओं के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि इसमें नागरिक-केंद्रित और व्यवसाय-संबंधी सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है जिनमें भूमि सीमांकन और सीमा सत्यापन, भूमि उपयोग में परिवर्तन, संपत्ति पंजीकरण, संपत्ति अभिलेखों का उत्परिवर्तन, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण, प्ले स्कूल और निजी शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के लिए अनुमोदन और पंजीकरण शामिल हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / बलवान सिंह