अटल बिहारी वाजपेयी जी नेता बाद में थे इन्सान पहले थे. जिनको देखकर कोई भी कह सकता था जिंदादिल इंसान सही मायने में बोलू तो अटल जी ठीक वैसे थे जैसे लोग पॉलिटिक्स में नहीं होते. अटल बिहारी वाजपेयी जी को सदन में बोलते देखकर मानो यही लगता था कि अपनी बात को बेहद शालीनता के साथ रखकर अपनी बात और विचारधारा को और भी धारदार तरीके से भी रखा जा सकता है. ये बात तो बिल्कुल सत्य है बात को हल्के फुल्के अंदाज़ में बोलकर और ज़्यादा वज़नी भी बनाया जा सकता है. एक बार का किस्सा जो शायद आज के राजनीतिक दलों के राजनेताओं को सीखने की जरूरत है, साल था 1996, वाजपेयी जी सदन में थे सपा पार्टी के मुलायम सिंह यादव जी पहली बार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुँचे थे. वाजपेयी जी की 13 दिन की सरकार थी, संसद में विश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही थी. किसी बिल पर चर्चा हो रही थी. जब अटल जी कुछ बोलते तो बार बार मुलायम सिंह हूट कर रहे थे, सदन के भीतर शोर मचा रहे थे. सीधा सीधा समझिए मुलायम सिंह अटल जी के बोलने पर बार बार व्यवधान डाल रहे थे. भारतीय जनता पार्टी के लोग भी इसके जवाब में रिएक्ट कर रहे थे. सदन के भीतर जब दोनों तरफ़ से शोर बहुत बढ़ गया तब वाजपेयी जी ने भारतीय जनता पार्टी के लोगों को चुप रहने का इशारा किया और बोले, " मुलायम सिंह यादव जी को बोलने दीजिए. मुलायम सिंह पहली बार लोकसभा आए हैं. संसद के तौर तरीके और सलीखे को सीखने में अभी थोड़ा वक़्त लगेगा. अटल जी के बात को गहराई को समझियेगा ये बात बिल्कुल वैसे ही थी जैसे किसी अंग्रेज़ी में पीएचडी आदमी को कोई ये कह दे कि यार तुम तो अपने नाम की स्पेलिंग भी सही से नहीं लिख पाते. अटल बिहारी वाजपेयी जी के इस मिठास रूपी कटु वचन बोलने के बाद मुलायम जी ने फिर बीच में डिस्टर्ब नहीं किया. सही मायने में बात की जाए तो अटल जी के अंदाज़ का कोई जवाब नहीं था. अटल जी किसी भी छायाचित्र को आप गौर से देखिए, उसमें उम्मीद दिखती है. हर क्षेत्र लोग अटल जी से सालों साल लोग प्रेरणा लेते रहेंगे. नमन 🙏 https://twitter.com/airnewsalerts/status/1427092960504471554