राजनैतिक सियासत में सत्ता का फेरबदल होना एक मजबूत लोकतंत्र के लिए उपयोगी साबित होता है. जिस तरीके से एक देश के संसद में लोकसभा की सहभागिता और किसी भी पार्टी को लोकसभा में बहुमत सिद्ध करना बहुत ही कारगर होता है. उसी तरह से किसी भी राज्य की विधानसभा में किसी भी राजनैतिक पार्टी का बहुमत सिद्ध करना बहुत जरूरी होता है. वर्तमान समय को देखें तो लग रहा है कि इस बार बंगाल में ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. अभी हाल ही में पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने वाला है, केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पूरे जोड़-तोड़ के साथ राजनीतिक अखाड़े में मौजूद है. मौजूदा सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी टीएमसी को करारी शिकस्त देने के लिए अपने दांव पेंच खेल रही है. बात टीएमसी के राजनीतिक कैरियर की करें, तो बंगाल की सियासत में ममता बनर्जी की हुकूमत 2011 से बनी हुई है. लगातार 10 साल तक बंगाल की सियासत में हुकूमत जमाने वाली टीएमसी पार्टी का हाल 2021 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की तबीयत कुछ सुस्त नजर आ रही है. मौजूदा समय में टीएमसी पार्टी के बहुत से दिग्गज कार्यकर्ता सरकार में मंत्रियों, विधायकों एवं पार्टी से खफा हो चुके हैं, जिसका लाभ बीजेपी को मिलना तय है. टीएमसी से नाराज पार्टी के लोग बीजेपी का दामन थामने के लिए पूरी तरीके से व्याकुल हैं. ऐसे में आने वाले वक्त में सत्ता का सिंहासन किसको नसीब होगा, इसका निर्धारण आने वाला चुनाव और चुनाव में सहभागिता रखने वाली जनता जनार्दन तय करेगी.
ताजा सर्वे क्या कहता है
हालिया समय में आई एक ताजा सर्वे रिपोर्ट से ममता बनर्जी और टीएमसी के कार्यकर्ता चैन की साँस ले सकते हैं. ABP-CNX का जो ताजा सर्वे है, उसके मुताबिक टीएमसी सत्ता बचाने में कामयाब हो सकती है. बहुमत हासिल करने का भी अनुमान है. तत्काल चुनाव होने पर टीएमसी को 151 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की है, जबकि बीजेपी को 117 सीटें मिल सकती है. लेफ्ट कांग्रेस गठबंधन के बावजूद 22 से 23 सीट पर सिमट के रह जाएंगे.
जनवरी का एक सर्वे
उसके मुताबिक एबीपी ने सी वोटर के साथ मिलकर पश्चिम
बंगाल का ओपिनियन पोल जारी किया था. सर्वे में टीएमसी अपने दम पर बहुमत वाली पार्टी दिख रही थी. उस वक्त टीएमसी को 154 से 162 सीट मिलने का अनुमान था. जबकि बीजेपी को 98 से 106 सीट मिलने की भविष्यवाणी की गई थी. कांग्रेस और लेफ्ट को 24 से 36 सीट मिलने की भविष्यवाणी थी, जबकि अन्य के खाते में 2 से 4 सीट जाने का अनुमान था. आंकड़ों के मुताबिक सर्वे के महीने भर में बीजेपी ने अच्छी खासी सेंधमारी करते हुए पश्चिम बंगाल की सियासत में अपना दबदबा बरकरार रखा है, और अपनी सीटों में इजाफा करने में कामयाब हुआ है. ऐसे में
ममता बनर्जी के लिए चिंता की बात स्वभाविक है, क्योंकि बीजेपी के कद्दावर नेता लगातार पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जीत की दावेदारी को पेश कर रहे हैं. जो बीजेपी के फायरब्रांड नेता है, उनकी भी बराबर रैलियां पश्चिम बंगाल में संपन्न हो रही है. ऐसे में यह कयास लगाया जा सकता है, आने वाले विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की सियासत में बीजेपी बड़ी सेंधमारी करते हुए पश्चिम बंगाल की सत्ता पर कमल को काबिज करने में कामयाब होगी और पश्चिम बंगाल भी भगवामय होगा.