दुश्मनों को मुँहतोड़ जवाब देने का एक ही तरीका है कि अपनी मारकक्षमता को बढ़ाते रहना चाहिये. सैन्य ताकत में आने से दुश्मन देश के हौसले पस्त होते हैं, जिससे सामरिक द्रष्टिकोण से देश की छवि विश्व स्तर पर एक शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित होती है. देश रक्षा के क्षेत्र में तेजी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहा है.
एरोनॉटिकल डेवेपलमेंट एजेंसी डबल इंजन का कॉम्बेट एयरक्राफ्ट तैयार करने के लिए एरोनॉटिकल डिवेपलमेंट एजेंसी काम कर रही है. इस एयरक्राफ्ट का पहला प्रोटोटाइप रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली यह एजेंसी 5 साल के अंदर जारी कर देगी. इन विमानों से इंडियन नेवी मिग 29-k को बदल सकेगी. जल सेना मुख्यालय ने एरोनॉटिकल डिवेलपमेंट एजेंसी से यह भी जानकारी ली है कि क्या वह नेवी के लिए अनमैन्ड कॉम्बेट एयरक्राफ्ट डेवेलप कर सकते हैं. एरोनॉटिकल डेवेलपमेंट एजेंसी में एलसीए नेवी मार्क-1 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. थंगवेल ने बताया कि इस L.C.A (लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट) विमान का नेवी की सफल परीक्षण हो चुका है तथा इसे आईएनएस विक्रमादित्य के डेक पर पिछले वर्ष लैंड भी कराया जा चुका है. उन्होंने कहा कि भारतीय जलसेना को ट्विन इंजन (दो इंजन वाला) एयरक्राफ्ट की आवश्यकता है. नेवी अडवांस मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट चाहती है. हम विगत छह माह से इस पर कार्यरत हैं. यह मीडियम वेट का होगा. थंगवेल ने कहा कि यह बड़ा एयरक्राफ्ट होगा इसलिए इसमें विंग फोल्डिंग कपैसिटी होगी, ताकि मैंटेनेंस या स्टोरेज के लिए हैंगर में ले जाया जा सके। इसको इस तरह से डिजाइन किया जाएगा जिससे कि यह आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर से भी उड़ान भर सकेगा तथा उन पर लैंड हो सकेगा. इसके बिना फोल्ड किये हुए विंग्स लम्बाई 11.2 मीटर होगी और फोल्ड होने पर 7.6 मीटर की होगी. प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. थंगवेल ने यह भी बताया कि इसका पहला प्रोटोटाइप 4-5 साल में रिलीज कर दिया जाएगा. भारतीय जल सेना इसे अपने मिग-29 विमान से बदलेगी. इस डेवेलपमेंट प्रोग्राम का इंडियन नेवी भी हिस्सा है. नेवी इसमें फंडिंग भी कर रही है साथ ही उनके एक्सपर्ट भी डिजाइन स्टेज में मिलकर काम करेंगे. एलसीए नेवी मार्क-1 को इंडियन नेवी मिग-29 पायलट की ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल कर रही है. पी. थंगवेल ने आगे कहा, 'लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट नेवी मार्क-1 को लेकर संयुक्त राष्ट्र की नेवी ने भी रुचि दिखाई है. वह अपने पायलटों की ट्रेनिंग देने के लिए इनका इस्तेमाल करना चाहती है. यूएस नेवी को 43 ट्रेनर एयरक्राफ्ट चाहिए. हमने इसका आरएफआई भेजा है. लगभग तीन माह पहले हमें नेवी हेडक्वॉर्टर से यह कम्युनिकेशन मिला कि क्या मार्क-1 विमान को अनमैन्ड एरियल कॉम्बेट वीइकल के तौर पर परिवर्तित किया जा सकता है?' उन्होंने कहा कि इसके लिए कुछ टेक्नॉलजी चाहिए. मार्क-1 हाई स्पीड लैंडिग कर सकता है, तो ऐसा हम यूएवी (अनमैन्ड एरियल वीइकल) में भी तैयार कर सकते हैं. हम आराम से हैंड फ्री टेक-ऑफ कर सकते हैं. ऑटोनोमस लैंडिंग की आवश्यकता होती है अनमैन्ड के लिए, हमने इसमें कई प्रमुख पड़ाव पार कर लिए हैं. हमारे पास वह क्षमता है जिससे हम इसे जल्द ही प्राप्त कर लेंगे. उन्होंने कहा कि इसमें अभी ऑटोमेटिक टेक-ऑफ और लैंडिग की बेसिक कमियाँ आ रही है. हम एक बार इसमें कुशल हो जाएंगे तो फिर बाकी सारी चीजें हैंडल हो जाएंगी. हम इस दिशा में काम कर रहे हैं.