काशी तमिल संगमम-4.0: हनुमान घाट पर तमिल दल ने किया गंगा स्नान, महाकवि सुब्रमण्यम भारती के घर पहुंचकर जाना इतिहास
वाराणसी, 7 दिसंबर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे काशी तमिल संगमम-4.0 में तमिलनाडु से आए लेखकों के समूह ने रविवार को हनुमानघाट पर गंगा नदी में स्नान कर मां का पूजा पाठ करते हुए उनसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। वहीं, मौजूद आचार्यों ने विस्तार से गंगा के विभिन्न घाटों के इतिहास को बताया। गंगा स्नान के बाद लेखकों के समूह ने घाट पर स्थित प्राचीन मंदिरों में दर्शन-पूजन किया। सभी लोगों को मंदिरों के इतिहास दिव्यता,भव्यता और इतिहास के बारे में जानकारी दी गई।
इसके उपरांत तमिल समूह ने हनुमान घाट स्थित महाकवि सुब्रमण्यम भारती के घर में भ्रमण किया। वहां महाकवि के परिवार के सदस्यों से उन्होंने मुलाकात की। लेखकों के दल में यहां काफी कुछ जानने की जिज्ञासा दिखी । उन्होंने सुब्रमण्यम भारती के घर के समीप पुस्तकालय का भी भ्रमण किया और काफी कुछ वहां के बारे में जानकारी भी प्राप्त की। महाकवि के घर पर भ्रमण करने के उपरांत लेखकों का दल कांची मठ पहुंचा और वहां के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त की। काशी में दक्षिण भारतीय मंदिर को देखकर लेखकों का दल उत्साहित दिखा।
श्री काशी विश्वनाथ धाम न्यास से जुड़े पं वेंकट रमण घनपाठी ने दल को बताया कि काशी और तमिलनाडु से गहरा रिश्ता है और ये संगमम महज एक पखवाड़े का नहीं, सदियों पुराना है। काशी के हनुमान घाट, केदारघाट, हरिश्चंद्र घाट पर मिनी तमिलनाडु बसता है। जहां एक दो नहीं बल्कि दक्षिण भारत के अलग-अलग राज्यों के हजारों परिवार बसते हैं, जो इन दोनों राज्यों के मधुर रिश्ते को दर्शाते हैं। केवल हनुमान घाट पर 150 से अधिक घर तमिल परिवारों के हैं, जिनकी गलियों में हर दिन काशी तमिल संगमम होता है। बीएस सुब्रमण्यम ने बताया कि आदि शंकराचार्य को भगवान शंकर ने अद्वैत का उपदेश काशी में दिया। काशी में कांची कामकोटि पीठ का एक मठ भी स्थापित है। पीठ द्वारा वेदों के लिए, शास्त्रों के लिए अनेक कार्य किया जा रहे हैं। सैकड़ों की संख्या में सनातन संस्कृति को बचाने के लिए लोग पीठ से निकले। जो यहां के छात्र हैं, वह अध्ययन प्राप्त करके पूरे देश में ही नहीं, विश्व में सनातन संस्कृति को मजबूत कर रहे हैं। काशी में द्रविड़ शैली के जितने मंदिर हैं, उनके शिखर देखकर ही पता चल जाता है कि यह किस देवता का मंदिर है।
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

