फर्रुखाबाद में किसानाें काे लागत भी नहीं मिल रही, औधे मुँह गिरे आलू के भाव
फर्रुखाबाद, 7 दिसंबर (हि. स.)। उत्तर प्रदेश के आलू उत्पादक जिले फर्रुखाबाद में आलू निर्यात न होने की वजह से आलू किसानों काे अपनी खून पसीने की कमाई का सही दाम नहीं मिल रहा है। वजह यह है कि आलू के भाव दिन प्रतिदिन गिर रहे हैं और इससे आलू किसानों के माथे पर चिंता की रेखाएं ऊपर आई हैं । आलू आढ़ती संघ के अध्यक्ष रिंकू वर्मा के अनुसार एशिया प्रसिद्ध आलू मंडी सातनपुर में आज आलू की आमद 12000 पैकेट हुई और भाव गिरकर 271 रुपया प्रति पैकेट (50 किलाे) बिका। लिवाली कम होने की वजह से काफी देर में आलू बिका। आलू बेचने आए किसान मायूस नजर आए।
भाव गिरने से परेशान प्रगतिशील किसान नारद सिंह कश्यप से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि आलू किसानों का दुर्भाग्य है कि व्यापारी मनमानी कीमत पर किसानों का आलू खरीद रहे हैं। आलू की अगैती फसल के दाम माटी के भाव पहुंच गए हैं । एक पैकेट आलू पैदा करने में ₹500 से अधिक खाद बीज ,बुवाई ,निराई की लागत आती है और इस समय ₹270 प्रति पैकेट आलू बिक रहा है। जिससे 230 रुपए प्रति पैकेट (50 किलाे) किसानों को लागत में घाटा पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आलू निर्यात करने के लिए कई बार शासन प्रशासन को लिखा गया , लेकिन कोई सुनवाई न होने की वजह से आलू निर्यात नीति नहीं बन सकी । जिससे आलू के भाव दिन प्रतिदिन गिरते चले जा रहे हैं।
इस मामले में आलू विपणन संघ के निदेशक अशोक कटियार ने कहा कि जब तक यहां से आलू निर्यात नहीं हाेगा तब तक किसानों को आलू की खेती में इसी तरह घाटा उठाना पड़ेगा। आलू की अगैती फसल में जिस तरह से किसानों को घाटा हो रहा है, उससे किसान कराह उठा है, वहीं दूसरी तरफ शीत गृहों में भंडारित आलू के दाम भी माटी के भाव पहुंच गए हैं। जिससे किसानों ने शीत गृह में भंडारित आलू की निकासी बंद कर दी है। मौजूदा समय में 10 फीसदी आलू आज भी शीत गृहों में भंडारित है । अगले माह जनवरी के पहले सप्ताह में शीत गृह खाली कर दिए जाएंगे। वहीं शीतगृहों में भंडारित आलू न निकलने की वजह से शीत गृह मालिक भी परेशान हैं ।
इस संबंध में जिला आलू विकास अधिकारी राघवेंद्र सिंह का कहना है कि आलू की खेती का क्षेत्रफल हर साल बढ़ाया जा रहा है। पैदावार अधिक होने की वजह से भाव गिर रहे हैं। इस पर किसानों को विचार करना चाहिए और आलू की जगह दूसरी फसलें पैदा करके उन्हें लाभ कमाना चाहिए।
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हिन्दुस्थान समाचार / Chandrapal Singh Sengar

