राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने मुरादाबाद में बृजरत्न हिंदू पुस्तकालय की स्थापना की थी
मुरादाबाद, 01 अक्टूबर (हि.स.)। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बापू जी का गहरा नाता मुरादाबाद से रहा हैं। महात्मा गांधी ने आंदोलन शुरू करने के अलावा यहां अमराेहा गेट स्थित बृजरत्न हिंदू पुस्तकालय की स्थापना की थी। महात्मा गांधी ने 12 अक्तूबर 1929 (विजय दशमी संवत 1986) को पुस्तकालय के नए भवन का उद्घाटन किया था। मुरली मनोहर को इसका प्रधान और लक्ष्मीनारायण को मंत्री बनाया गया था। लक्ष्मीनारायण खन्ना इस पुस्तकालय के निर्माण निरीक्षक थे। महात्मा गांधी की अध्यक्षता में यहीं पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच नमक सत्याग्रह शुरू करने पर मंथन हुआ था। इसके बाद वर्ष 1930 में भारी भीड़ उमड़ी थी।
स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में मुरादाबाद का प्रमुखता से नाम लिया जाता है। महात्मा गांधी का भी यहां से विशेष लगाव रहा है। इसका महत्व इसी बात से आंका जा सकता है सितंबर वर्ष 1920 में डॉ. भगवान दास की अध्यक्षता में मुरादाबाद में एक सम्मेलन हुआ, जिसमें महात्मा गांधी, महामना मदन मोहन मालवीय, मोती लाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. अंसारी, हकीम अजमत खां, मौलाना मोहम्मद अली, शौकत अली आदि पधारे थे और असहयोग प्रस्ताव पास हुआ। इस प्रकार मुरादाबाद से ही इस आंदोलन की नींव पड़ी। इसके अलावा गांधी जी के नमक सत्याग्रह, व्यक्तिगत सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में यहां के जांबाजों ने अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया था। आंदोलनों का प्रमुख केंद्र रहने की वजह से गांधी जी ने बैठकों और परिचर्चा के लिए ब्रज रतन पुस्तकालय की स्थापना की थी।
अखिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के धवल दीक्षित ने बताया कि महात्मा गांधी एक बार कलकत्ता जा रहे थे। जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंची तो वहां शहर भर से लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। स्वर्गीय कुसुम सिंघल जो उस वक्त बालिका थीं, गांधी जी से मिलने गई थीं। छोटी बच्ची होने के कारण कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं ने उन्हें आगे बढ़ाया। गांधी ने उन्हें खूब दुलार किया था। रामविहार काॅलोनी निवासी डाॅ. अजय अनुपम ने बताया कि गांधी जी पान का दरीबा के पास साहू रघुवीर सरन खत्री के घर रुके थे और उन्हीं की बग्घी में सवार होकर ब्रज रतन पुस्तकालय के उद्घाटन में आए थे। मेरे पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मास्टर रामकुमार की ब्रज रतन पुस्तकालय के पास दुकान किताबों की थी। उनकी बग्घी रोककर टीका दिया था। उस वक्त 11 सौ रुपये दान दिए थे। पूरे बाजार में पैर रखने के लिए जगह नहीं थी। वह दिव्य पुरुष थे। पिता जी महात्मा गांधी के अलावा पंडित गोविंद बल्लभ पंत आदि के साथ रहे। वह ताउम्र कांग्रेस पार्टी के जिला कोषाध्यक्ष रहे। महात्मा गांधी के आह्वान पर नमक आंदोलन गिरफ्तारियां दीं और स्वदेशी आंदोलन को सफल बनाने के लिए विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
असहयोग आंदोलन के वक्त महसूस हुई थी जरूरत
साबरमती आश्रम में गांधी जी के साथ तीन माह रहे स्वतंत्रता सेनानी स्व. साहू रमेश कुमार के बेटे साहू सुशील कुमार ने बताया कि उनके पिता ने उन्हें बताया था कि
सितंबर 1920 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। अंग्रेजों का विरोध करने के लिए असहयोग प्रस्ताव पारित हुआ था। इसमें शामिल होने के लिए महात्मा गांधी, पंडित मदनमोहन मालवीय, पंडित मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहरलाल नेहरू, मौलाना मोहम्मद अली आदि सेनानी आए थे। महात्मा गांधी का यह मुरादाबाद में यह पहला आगमन था। इसलिए माना जाता है कि असहयोग आंदोलन की नींव पड़ने के साथ ही बैठकों के लिए एक स्थान की आवश्यकता महसूस हुई, जो बाद में बृजरत्न हिंदू पुस्तकालय के रूप में पूरी हुई।
बग्घी में सवार होकर ब्रजरतन पुस्तकालय के उद्घाटन में आए थे गांधी जी
साहू सुशील कुमार ने बताया कि एक बार गांधीजी पान का दरीबा के पास साहू रघुवीर सरन खत्री के घर रुके थे और उन्हीं की बग्घी में सवार होकर ब्रजरतन पुस्तकालय के उद्घाटन में आए थे। मेरे पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मास्टर रामकुमार की ब्रज रतन पुस्तकालय के पास दुकान किताबों की थी। उनकी बग्घी रोककर टीका दिया था। उस वक्त 11 सौ रुपये दान दिए थे। पूरे बाजार में पैर रखने के लिए जगह नहीं थी। वह दिव्य पुरुष थे। पिता जी महात्मा गांधी के अलावा पंडित गोविंद बल्लभ पंत आदि के साथ रहे। वह ताउम्र कांग्रेस पार्टी के जिला कोषाध्यक्ष रहे। महात्मा गांधी के आह्वान पर नमक आंदोलन में गिरफ्तारियां दीं और स्वदेशी आंदोलन को सफल बनाने के लिए विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जयसवाल