विद्याभारती संगठन नहीं संस्कार निर्माण से जुड़ी शिक्षण संस्कृति है:राज्यपाल
राज्यपाल ने किया विद्याभारती क्षेत्रीय प्रबंध समिति कार्यकर्ता सम्मेलन का उद्घाटन
जयपुर, 7 दिसंबर (हि.स.)। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा कि विद्याभारती संगठन नहीं भारत में संस्कार निर्माण से जुड़ी शिक्षण संस्कृति है। उन्होंने कहा यह शिक्षा प्रदान करने से जुड़ा राष्ट्र का सबसे बड़ा गैर सरकारी संस्थान ही नहीं है बल्कि यह विद्यार्थियों के चरित्र को गढ़ने वाला राष्ट्रीय अभियान है।
बागडे रविवार को विद्याभारती क्षेत्रीय प्रबंध समिति कार्यकर्ता सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विद्याभारती संगठन के इतिहास की चर्चा करते हुए कहा कि गोरखपुर में नानाजी देशमुख की प्रेरणा से भारतीय मूल्यों और संस्कृति पर आधारित युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार करने की सोच से पहला सरस्वती शिशु मंदिर स्थापित हुआ। बाद में अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के रूप में विद्याभारती संस्थान के तहत देशभर में विद्यालयों की स्थापना हुई।
उन्होंने कहा कि पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली को आधुनिक शिक्षा से जोड़कर राष्ट्र को नई दिशा प्रदान करने में आज विद्याभारती महती भूमिका निभा रहा है। यह संगठन रटंत-आधारित शिक्षा को समाप्त कर नवाचार-केंद्रित शिक्षा के प्रसार में जो भूमिका निभा रहा है, वह अतुलनीय है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के आलोक में विद्या भारती विद्यालयों की प्रासंगिकता बताते हुए कहा कि उच्च शिक्षा के अंतर्गत छात्रों को अनुभव और अनुकरण के माध्यम से सीखने को प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने कहा कि विद्या भारती प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपराओं को एकीकृत करते हुए मूल्य-आधारित शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रीय जागरूकता के लिए जो कार्य करता आ रहा है, उसका प्रभावी प्रसार भी दूसरे क्षेत्रों में हो।
राज्यपाल ने दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचकर विद्या भारती द्वारा ग्रामीण, वनवासी, पर्वतीय और झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्रों में शिशु वाटिकाओं से उच्च शिक्षा तक की सुविधा प्रदान करने में निभाई जा रही भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
इससे पहले राज्यपाल ने विद्याभारती के क्षेत्रीय प्रबंध समिति कार्यकर्ता सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने धरती आबा बिरसा मुंडा को याद करते उन्हें नमन किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

