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हस्तशिल्प संस्कृति का वाहक और आजीविका का आधार हैः राष्ट्रपति

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हस्तशिल्प संस्कृति का वाहक और आजीविका का आधार हैः राष्ट्रपति


हस्तशिल्प संस्कृति का वाहक और आजीविका का आधार हैः राष्ट्रपति


नई दिल्ली, 09 दिसंबर (हि.स.) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को यहां कहा कि हस्तशिल्प हमारी संस्कृति के वाहक हैं और साथ ही, आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं।

राष्ट्रपति ने आज यह बात नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में सात दिवसीय (08-14 दिसंबर) ‘राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह’ समारोह की उद्घाटन के दौरान कही। उन्होंने अपनी अनूठी कारीगरी और नवाचार से देश की कलात्मक विरासत को समृद्ध रखने वाले कुशल शिल्पकारों, डिज़ाइनरों, स्टार्ट-अप्स और नवप्रवर्तकों शिल्पकारों को वर्ष 2023 और 2024 के लिए 36 ‘राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार’ और 12 ‘शिल्प गुरु पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया। इनमें 02 डिज़ाइन और नवाचार पुरस्कार (कारीगर-डिज़ाइनर सहयोग) शामिल हैं। पुरस्कार विजेताओं में 20 महिला कारीगर हैं।

इस मौके पर केन्द्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह, कपड़ा राज्यमंत्री पबित्र मार्गेरिटा, वस्त्र मंत्रालय की सचिव नीलम शामी राव और विकास आयुक्त हस्त शिल्प अमृत राज सहित अन्य अधिकारीगण, कारीगर, उद्योग प्रमुख, निर्यातक, डिजाइनर उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मुर्मु ने कहा, “हस्तशिल्प पारंपरिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लोगों को सहायता प्रदान करता रहा है। यह क्षेत्र न केवल कारीगरों को आजीविका का साधन प्रदान करता है, बल्कि उनकी कला उन्हें समाज में पहचान और सम्मान भी दिलाता है। इस क्षेत्र से देश के 32 लाख से अधिक लोग जुड़े हुए हैं, जिनमें 68 प्रतिशत महिलाएं हैं। यह क्षेत्र पर्यावरण के अनुकूल है और टिकाऊ जीवनशैली को बढ़ावा देता है।” उन्होंने समावेशी विकास और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

केन्द्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, “जीएसटी (जीएसटी) दरों में कटौती से हस्तशिल्प उत्पादों के निर्यात को भारी प्रोत्साहन मिला है। बीते वर्षों में, हस्तशिल्प निर्यात 25,000 करोड़ रुपये से दोगुना होकर अब 50,000 करोड़ रुपये के स्तर को छू चुका है। सरकार ने 2031-32 तक इस आंकड़े को 01 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार के महत्त्वपूर्ण कदमों के कारण, अब ग्रामीण शिल्पकारों का सामान सीधे अमेरिका, इंग्लैंड और दुनिया के किसी भी कोने में उपलब्ध हो सकेगा।”

उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प की कला और स्थिरता को बढ़ाने के लिए अब नई तकनीकों और सामग्रियों को भी उत्साहपूर्वक अपनाया जा रहा है। इसमें बाँस, रेमी और फ्लैक्स जैसे टिकाऊ फाइबर का उपयोग प्रमुख है। 336 हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों को जीआई टैग प्राप्त होने से भारत वैश्विक हस्तशिल्प बाज़ार में एक मज़बूत ब्रांड के रूप में स्थापित होगा।

राज्य मंत्री पबित्र मार्गेरिटा ने कहा, हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संजोना और अगली पीढ़ी तक पहुँचाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। हमारे शिल्पकारों का हुनर हमारे गाँवों की पहचान, हमारी परंपराओं की गरिमा और पूरे देश का गौरव है। उन्होंने कहा कि शिल्पकारों की कला केवल वस्तुएं नहीं बनाती बल्कि आशा, सम्मान और स्वाभिमान भी गढ़ती है। यह विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी और भारत की सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।

इस अवसर पर गिरिराज सिंह ने राष्ट्रपति मुर्मु को अशोक प्रतीक चिन्ह वाला स्मृति चिन्ह और हाथ से बने हस्तशिल्प पुरस्कार कैटलॉग भेंट किया। इसके अलावा, विजेताओं को नकद राशि 3.5 लाख रुपये, 20 ग्राम स्वर्ण पदक, ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम् और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना, कारीगरों की आजीविका को मजबूत करना और देश की समृद्ध हस्तशिल्प विरासत को पहचान देना है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रद्धा द्विवेदी