अनूपपुर:धान परिवहन में हेरफेर कर करोड़ों का नुकसान, आदेश जारी कर 24 घंटे में तोड़ा गया नियम
- डीएसओ द्वारा कराए जा रहे क्रॉस मूवमेंट गेम दाे का खुलासा, मामला उपार्जित धान का
अनूपपुर, 9 दिसंबर (हि.स.)।
मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में उपार्जित धान के परिवहन और भंडारण को लेकर एक बार फिर बड़ा घोटाला सामने आया है। जिले की उपार्जन व्यवस्था पर लगातार उठ रहे सवालों के बीच अब इस पूरे अव्यवस्थित सिस्टम का दूसरा चरण ‘क्रॉस मूवमेंट गेम 2’ उजागर हुआ है। बताया जा रहा है कि परिवहनकर्ता को करोड़ों का अनुचित लाभ दिलाने के लिए न सिर्फ परिवहन रूट बदले गए, बल्कि नजदीकी भंडारण केंद्रों को नजरअंदाज कर दूरस्थ गोदामों में धान भेजकर परिवहन लागत को कई गुना बढ़ा दिया गया।
जानकारी के अनुसार उपार्जन केंद्रों से धान को भंडारण केंद्र तक ले जाने के लिए तय किए गए ट्रक चालान के साथ बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया। ट्रक जिस गोदाम तक भेजे जाने थे, उन्हें वहां न ले जाकर अन्य गोदामों में धान अनलोड कराया गया। यही नहीं, कई ट्रकों के चालान में पेन से ओवरराइटिंग कर उनके गंतव्य बदल दिए गए ताकि परिवहनकर्ता को अतिरिक्त लाभ मिल सके। आदिम जाति सेवा सहकारी समिति दुलहरा खरीदी केंद्र (पालीटेक्निक ग्राउंड) से 6 दिसंबर को 800, 650 और 650 बोरी धान से लोड तीन ट्रक ओम सिंह वेयरहाउस, परासी के लिए रवाना किए गए। लेकिन वहां पहुंचने के बाद उन्हें बिना किसी लिखित आदेश के रमेश इंजीनियरिंग वेयरहाउस दारसागर भेज दिया गया। इसके बाद चालान में ओवरराइटिंग कर धान को अंततः एमपीडब्ल्यूएलसी कोतमा में अनलोड करा दिया गया।
इसी तरह आदिम जाति सेवा सहकारी समिति पटनाकला (रामकथा मैदान) से भेजे गए दो ट्रकों के साथ भी यही खेल दोहराया गया। ओम सिंह वेयरहाउस भेजे गए ट्रकों को भी दारसागर तक घुमाया गया और फिर कोतमा में अनलोड कराया गया।
अधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल
दरअसल, पांच दिसंबर को जिला खाद्य अधिकारी द्वारा एक आदेश जारी किया गया था, जिसमें साफ लिखा था कि ट्रक चालान जिस गोदाम के लिए जारी होगा, धान की अनलोडिंग उसी गोदाम में कराना अनिवार्य है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि आदेश के 24 घंटे के भीतर ही प्रभारी प्रबंधक नान एवं डीएसओ अनीता सोरते ने अपने ही निर्देशों को दरकिनार कर दिया। परिवहनकर्ता बृजेश पांडेय को लाभ पहुँचाने के लिए पहले गलत मैपिंग की गई, फिर क्रॉस मूवमेंट कराया गया और जब यह भी पर्याप्त नहीं हुआ, तो ट्रकों को तीन-तीन भंडारण केंद्रों का चक्कर कटवाकर धान को अंततः तीसरे गोदाम में अनलोड कराया गया। यह पूरा खेल न सिर्फ उपार्जन नीति का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासन में मौजूद संगठित तंत्र की ओर भी इशारा करता दिख रहा है।
क्यों बढ़ रहा है संदेह?
नजदीक के गोदाम खाली होने के बावजूद धान को 8 किलोमीटर के बजाय 50 किलोमीटर दूर ले जाया गया। परिवहन लागत में यह अंतर अपने-आप पूरी कहानी कह देता है। उदाहरण के तौर पर समझें कि आठ किलोमीटर दूरी पर 1,000 क्विंटल धान ले जाने का परिवहन खर्च: 16,968 रुपये और 50 किलोमीटर दूरी पर यही खर्च बढ़कर: 54,840 रुपये, यानी एक ट्रक पर ही 38 हजार रुपये से अधिक का अतिरिक्त भुगतान और जब ऐसे कई ट्रक गलत रूट से भेजे जाएं तो यह आंकड़ा करोड़ों तक पहुँच जाता है।
प्रशासन की कार्यशैली पर बड़े सवाल
डीएसओ अनीता सोरते द्वारा जारी आदेश और उसके उलटना यहां अनेक सवाल खड़े कर रहा है। क्योंकि कागजों में धान एक वेयरहाउस के नाम दर्ज किया गया, जबकि वास्तविकता में धान किसी अन्य जगह पहुँचा दिया गया। इससे न सिर्फ सरकारी निर्देशों का उल्लंघन हुआ है बल्कि धान उपार्जन व परिवहन की पूरी प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश शुक्ला

