महात्मा गांधी के देश में अब सत्याग्रह के लिए जगह नहीं : जीतू पटवारी
भोपाल, 21 सितंबर (हि.स.)। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू जीतू पटवारी ने कहा कि आउटसोर्स, अस्थाई, ग्राम पंचायत एवं अंशकालीन कर्मचारी संयुक्त मोर्चा संगठन को अपनी मांगों के लिए राजधानी भोपाल में कामगार क्रांति आंदोलन किया जाना है। संगठन द्वारा आंदोलन के लिए राज्य सरकार, प्रशासन से स्थान की मांग की जा रही है, लेकिन प्रशासन आंदोलन-प्रदर्शन करने के लिए स्थान की अनुमति नहीं दे रहीं है। इससे साफ जाहिर है कि अब महात्मा गांधी के देश में सत्याग्रह के लिए भी जगह नहीं है। आउटसोर्स, अस्थाई, ग्राम पंचायत एवं अंशकालीन कर्मचारी संयुक्त मोर्चा को आंदोलन करने के लिए जगह नहीं देना राज्य सरकार का तानाशाहीपूर्ण रवैया है।
जीतू पटवारी ने कहा शनिवार काे अपने बयान में कहा कि संगठन के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा द्वारा विगत 2 सितम्बर को कामगार क्रांति आंदोलन के लिए 22 सितंबर के लिए नीलम पार्क, शाहजहानी पार्क, बाबा साहेब अंबेडकर बोर्ड आफिस चौराहा, रानी कमलापति स्टेशन के पास 7 नंबर बस स्टाप के पास आंदोलन के लिए स्थान चाहा गया लेकिन प्रशासन की दोहरी नीति के चलते उन्हें आंदोलन के लिए स्थान नहीं दिया गया। जबकि उक्त आंदोलन में हजारों की संख्या में ग्राम पंचायतों के चौकीदार, भृत्य, पंप आपरेटर, सफाईकर्मी, स्कूलों, छात्रावासों के अंशकालीन, अस्थाई कर्मचारी, निगम मंडल, नगरीय निकाय, सहकारिता के आउटसोर्स, अस्थाई कर्मी, शासकीय विभागों के आउटसोर्स कंप्यूटर आपरेटर, अस्पताल, मेडीकल कालेजों के वार्ड न्याय, सुरक्षाकर्मी, सहित चतुर्थ श्रेणी आउटसोर्स कर्मचारी, मंडियों, राष्ट्रीयकृत एवं सहकारी बैंकों, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, यूनिवर्सिटी, आयुष विभाग के योग प्रशिक्षक, शिक्षा विभाग के व्यावसायिक प्रशिक्षकों सहित सभी शासकीय अर्द्धशासकीय विभागों के अस्थाई, आउटसोर्स कर्मचारी शामिल होने वाले थे।
पीसीसी चीफ ने कहा कि इन वर्गों की स्थिति बेहद दुर्भाग्यजनक हैं, 20-20 साल से ये कर्मचारी केवल 4 से 5 हजार रूपये महीने में काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं सरकार ने गरीब, दलित, आदिवासी, ओबीसी और मध्यवर्गीय परिवारों से सरकारी नौकरी का अधिकार छीनकर ठेकेदारों के हवाले कर दिया है जो उन्हें तानाशाही रवैये से प्रताड़ित कर रहे हैं। पटवारी ने कहा कि हर व्यक्ति, संगठन को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है। सरकार किसी के हक और अधिकार की मांगों को दबाने के लिए उसे रौंद नहीं सकती। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जनता के हक और अधिकार की आवाज उठाने के लिए विपक्ष के साथ अन्याय किया तो यह सरकार को ठीक नहीं होगा। विपक्ष सरकार के सामने जनता की बात रखने के लिए कोई भी ठोस कदम उठा सकता है।
जीतू पटवारी ने कहा कि सभी विभागों का 80 प्रतिशत निजीकरण हाे चुका है, ऐसी स्थिति में सरकारी विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों की नौकरी में न सुरक्षा बची है और न ही सरकार का तय न्यूनतम वेतन मिलता है, यह कर्मचारी अब तक के सबसे बडे अन्याय के शिकार हैं और न्याय के लिए निरंतर संघर्ष कर रहे हैं, जिसके तहत 22 सितंबर को भोपाल में कामगार क्रांति आंदोलन किया जा रहा है, जिसमें प्रदेशभर से हजारों कर्मचारी शामिल होकर न्याय के लिए अपनी आवाज बुलंद करेंगे। नौकरी में सुरक्षा और न्यूनतम 21000 रुपये वेतन की मांग को लेकर 22 सितंबर को संगठन के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा के नेतृत्व में चपरासी, चौकीदार की नौकरी देने में असफल भाजपा सरकार के खिलाफ कामगार क्रांति आंदोलन किया जायेगा, जिसमें प्रदेशभर से हजारों आउटसोर्स कर्मचारी शामिल होंगे। पटवारी ने कहा कि यदि प्रशासन नीलम पार्क अथवा किसी एक स्थान पर आंदोलन की अनुमति नहीं देता है तो तब सभी कर्मचारी चिनार पार्क के सामने एकत्रित होंगे और वहां से जुलूस लेकर बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष सडक पर बैठ कर शांतिपूर्ण क्रांति आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
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हिन्दुस्थान समाचार / नेहा पांडे