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मंदसौर : सीतामऊ साहित्य महोत्सव का हुआ शुभारंभ, अशोक चक्रधर ने दिया व्याख्यान

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मंदसौर : सीतामऊ साहित्य महोत्सव का हुआ शुभारंभ, अशोक चक्रधर ने दिया व्याख्यान


मंदसौर, 30 जनवरी (हि.स.) सीतामऊ में तीन दिवसीय सीतामऊ साहित्य महोत्सव का शुभारंभ गुरूवार प्रात: 10.30 बजे नट नागर शोध संस्थान पैलेस गार्डन में केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत(वर्चुअल माध्यम से), प्रभारी मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया, सांसद सुधीर गुप्ता, जिला पंचायत अध्यक्षा श्रीमती दुर्गा विजय पाटीदार, विधायक हरदीप सिंह डंग, पूर्व मंत्री कैलाश चावला, पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया, अन्य जनप्रतिनिधियों, कलेक्टर श्रीमती अदिती गर्ग, प्रशासनिक अधिकारियों ने सीतामऊ साहित्य महोत्सव का शुभारंभ किया। साहित्य महोत्सव 1 फरवरी तक चलेगा। अपनी साहित्यिक विरासत को लेकर प्रसिद्ध छोटी काशी नगरी सीतामऊ अपनी वैभवशाली संस्कृति का गान करेगी।

इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत वर्चुअल माध्यम से जुड़े तथा कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सभी को अपना संबोधन प्रदान किया।

प्रभारी मंत्री सुश्री निर्मला भूरिया ने संबोधन देते हुए कहा कि साहित्य महोत्सव इतिहास, साहित्य और पर्यावरण का अनुपम संगम है। मंदसौर इतिहास की धरोहर है। पुरातत्व की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस महोत्सव से सभी कुछ न कुछ सीख कर जाएंगे। सभी को ज्ञान और अनुभव मिलेगा।

कलेक्टर श्रीमती गर्ग द्वारा कहा गया कि सीतामऊ साहित्य महोत्सव के माध्यम से मंदसौर के पर्यटन का नक्शा देश के सामने उभर कर आएगा। तीन दिवसीय आयोजन के माध्यम से मंदसौर का इतिहास और संस्कृति को जानने का अवसर मिलेगा। पशुपतिनाथ मंदिर, शैल चित्र, धमेर्राजेश्वर मंदिर, इतिहास, पर्यावरण का मंदसौर महासंगम है। मंदसौर के पर्यटन को समझना है तो यहां आकर रहे, उसे देखे। कार्यक्रम के दौरान शहीद दिवस पर शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखा गया।

अशोक चक्रधर ने इतिहास और साहित्य पर व्याख्यान दिए

सीतामऊ साहित्य महोत्सव के दौरानवक्ता अशोक चक्रधर ने इतिहास और साहित्य के विषय पर व्याख्यान दिया। राजस्थान के पूर्व राज्यसभा सांसद ओंकार सिंह लखावत ने भारतीय ज्ञान परम्परा के विषय पर व्याख्यान दिया। दोनों के व्याख्यानों ने दर्शकों के मन को मोह लिया। वक्ता श्री चक्रधर ने कहा कि, मानव की गाथाएं अनंत हैं। जैन ग्रंथों में दशपुर पर बहुत कुछ लिखा है। श्री चक्रधर ने शेर, शायरी, कविता, स्वतंत्रता, गणतंत्र, तिरंगा, झंडा, प्रकृति, पर्यावरण आदि विषयों पर कविताएं की ओर व्याख्यान दिए। तत्पश्चात ओंकार सिंह लखावत ने भारतीय ज्ञान परम्परा के विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि ज्ञान परंपरा यह देश की परंपरा है। जो देश दुनिया में बढ़ रही है। सर्वोत्तम जीने की कला भारतीय अधिष्ठान से सीखी जा सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अशोक झलोया