भोजशाला विवाद: एएसआई द्वारा जब्त किया गया मां वाग्देवी का तेल चित्र पुन: गर्भगृह में मिला
धार, 9 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के धार में प्रति मंगलवार हिंदू समाज भोजशाला में नियमित सत्याग्रह करता है। पिछले मंगलवार 2 दिसंबर को सत्याग्रह के दौरान एएसआई (आरके लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) द्वारा मां वाग्देवी का तेल चित्र गर्भगृह से हटा कर जब्त्त कर लिया था उसके बाद यह बात की स्थिति बनी थी जो आज मंगलवार काे समाप्त हो गई है। सुबह जब हिंदू समाज पूजन के लिए पहुंचा तो गर्भगृह में मां वाग्देवी का तेल चित्र पुन: वहां रखी हुई मिली जिसे पिछले सप्ताह ही एएसआई ने नया तेल चित्र बताकर जब्त किया था।
भोज उत्सव समिति के अध्यक्ष सुरेश जलोदिया के अनुसार इस मामले को लेकर कलेक्टर व एसपी के समक्ष बात रखी थी, कुछ बातों को लेकर गलतफहमी हो गई थी, जो अब समाप्त हो गई है। गर्भगृह से ही एएसआई ने मां का चित्र हटाया था, आज सुबह जब सभी लोग एकत्रित हुए तो गर्भगृह में पूजन सामग्री के साथ मां का चित्र भी रखा हुआ था। हमने पहले भी बताया था कि पहले का चित्र काफी पुराना हो गया था, आगामी बसंत पंचमी को देखते हुए उसी चित्र को नया स्वरुप देकर पूजन के लिए पहुंचे थे।
गार्ड ने हटाया था चित्र
धार की भोजशाला में 2 दिसंबर की सुबह विवादित की स्थिति बनी थी, यहां पर प्रति मंगलवार हिंदू संगठन सत्याग्रह करता है। मंगलवार को हिंदू समाज के लोग भोजशाला सत्याग्रह करने के लिए पहुंचे थे। इसी दौरान वाग्देवी के तेल चित्र को लेकर विवादित स्थिति बन गई। दरअसल सुबह सत्याग्रह के दौरान एएसआई (आरके लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) द्वारा मां वाग्देवी का तेल चित्र गर्भगृह से हटा दिया। इसके बाद एएसआई के सिक्यूरिटी गार्ड आए और वह तेल चित्र को उठा कर ले गए। जब एएसआई द्वारा मां वाग्देवी का तेल चित्र हटाया तो हिंदू समाज आक्रोशित हो उठा। इसमें एएसआई का कहना था यह चित्र नया है जिसे गर्भग्रह में नहीं रख सकते। वहीं हिंदू समाज का कहना था पुराना तेल चित्र खराब हो गया इसलिए उसी स्वरूप का नया तेल चित्र लाया गया। करीब 20 मिनट की बहस के बाद हिंदू समाज ने बिना तेल चित्र के ही गर्भगृह में मां का पूजन किया। इसके बाद नारेबाजी करते हुए प्रशासन से शाम तक तेल चित्र वापस करने की चेतावनी दी। परंतु शाम तक प्रशासन ने तेल चित्र वापस नहीं किया।
हिंदू समाज समाज में हर्ष
भोज उत्सव समिति के महामंत्री सुमीत चौधारी ने बताया कि भोजशाला के ताले खुलवाने के लिए सत्याग्रह की शुरुआत सन 1992 में हुई थी। इसमें पहले हिंदू समाज को भोजशाला के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी। ताले खुलवाने के लिए भोजशाला के बाहर स्टूल पर मां वाग्देवी का पोस्टर व हनुमानजी का पोस्टर रख कर सत्याग्रह किया जाता था। हिंदू समाज के लंबे संघर्ष के बाद 2003 में भोजशाला के ताले हिंदु समाज के लिए खुले। इसके बाद प्रति मंगलवार को भोजशाला में सत्याग्रह शुरू हुआ जो आज तक चल रहा है। 15 साल पहले इसी फोटो को फ्रेमिंग कराया था। परंतु अब फ्रेमिंग खराब होने के कारण नई फ्रेमिंग कराना थी । हमने इसी स्वरूप में नया चित्र लेकर अंदर गए थे। परंतु प्रशासन ने हमसे यह छीन लिया था। मां वाग्देवी की मूर्ति लंदन में कैद है। दूसरी मूर्ति ग्वालियर में कैद, इसके बाद तीसरी मर्तबा तेल चित्र पुरातत्व विभाग की कैद में पहुंचा था, जो अब पुन मिᚤल चुका है। जिसके कारण हिंदू समाज में हर्ष है।
हनुमान चालीसा का पाठ
भोजशाला में सुबह जब मां वाग्देवी का चित्र समाज को मिला जो सत्याग्रह में बडी संख्या में लोग एकत्रित हुए। सबसे पहले हनुमान चालीसा का पाठ होने से भोजशाला गुंज उठी अंत में आरती कर प्रसादी का वितरण भी किया गया। इधर प्रशासन की टीम सत्याग्रह के कारण भोजशाला पहुंची थी। डीएसपी आनंद तिवारी सहित तीन थानों के टीआई व पुलिसबल बडी संख्या में मौजूद रहा।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / Gyanendra Tripathi

