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जींद : प्रथम पातशाही गुरु नानक देव का प्रकाशोत्सव धूमधाम से मनाया

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जींद : प्रथम पातशाही गुरु नानक देव का प्रकाशोत्सव धूमधाम से मनाया


जींद : प्रथम पातशाही गुरु नानक देव का प्रकाशोत्सव धूमधाम से मनाया


जींद, 5 नवंबर (हि.स.)। प्रथम पातशाही गुरु नानक देव के प्रकाशोत्सव पर बुधवार को शहर के सभी गुरुद्वारों में रखे गए श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का भोग डाला गया तथा धार्मिक दीवान सजाए गए। गुरुघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने बताया कि अल सुबह ही शहर के सभी गुरुद्वारों में संगतों ने गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेक कर अपने गुरु के जन्मदिन के प्रति अपनी खुशी का इजहार किया तथा गुरु का अटूट लंगर बनाने की सेवा भी की। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी महाराज ने प्रत्येक प्राणी को जीवन जीने की राह दिखाई। उनका त्याग, तप और ज्ञान प्रेरित करता है। उनकी दी हुई शिक्षाएं गुरु ग्रंथ साहिब में मौजूद हैं।

श्री गुरु नानक देव ने एक ओंकार का संदेश फैलाया। जिसका अर्थ है एक ईश्वर, जो अपनी हर रचना में वास करता है। दोपहर बाद सभी गुरुद्वारा में गुरु का अटूट लंगर बरताया गया। गुरूद्वारा बंदा बहादुर साहिब में हजूरी रागी भाई गुरजीत सिंह के रागी जत्थे द्वारा गुरबाणी कीर्तन गायन किए। सिंह सभा गुरुद्वारा भारत सिनेमा रोड में भाई सतवंत सिंह, भाई रिषिपाल सिंह ने गुरबाणी कीर्तन गायन किया। रेलवे जंक्शन स्थित सिंह सभा गुरूद्वारा में भाई संतोख सिंह व भाई जसवंत सिंह ने गुरुबाणी शब्दों द्वारा गुरु की महिमा का बखान किया व गुरु नानक देव की जीवनी से रूबरू करवाया। वहीं गुरूद्वारा गुरू तेग बहादुर साहिब हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के कार्यकारिणी सदस्य सरदार करनैल सिंह निम्नाबाद ने प्रकाशोत्सव पर श्रद्धालुओं को संबांधित करते हुए कहा कि गुरु नानक जी ने कहा है सोचै सोचि न होवई, जो सोची लखवार। चुपै-चुपि न होवई, जे लाई रहा लिवतार। यानी ईश्वर का रहस्य सिर्फ सोचने से नहीं जाना जा सकता है, इसलिए नाम जपें।

ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में प्रकाशोत्सव के उपलक्ष में सजाए गए धार्मिक दीवान में नानकसर साहिब पंजाब से आए भाई गुरमुख सिंह एवं करनाल से आए भाई चरनजीत सिंह ने सतगुरु नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानन होया शब्द की व्याख्या में संगतों को गुरु नानक देव जी की जीवनी से रूबरू करवाया। प्रसिद्ध कथा वाचक गुरविंदर सिंह रत्तक ने गुरु नानक देव की शिक्षाओं से संगतों को अवगत करवाया और साथ ही गुरू नानक देव जी की बाणी का बखान किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / विजेंद्र मराठा